- फ़ॉस्फ़ोर-जिप्सम के इस्तेमाल से बनाई जाएंगी सड़कें
- कार्बन उत्सर्जन को कम करने की नई पहल
एनएचएआई फ़ॉस्फर-जिप्सम वेस्ट से तैयार करेगी सड़क
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने पर्यावरण में प्रदूषण को कम करने के लिए सड़क-निर्माण में फ़ॉस्फर-जिप्सम वेस्ट मटिरियल के इस्तेमाल की महत्वपूर्ण घोषणा की है। इसके लिए एनएचएआई ने रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के साथ सम्पर्क किया है। फ़ॉस्फ़ोर-जिप्सम फ़र्टिलाइज़र का वेस्ट प्रॉडक्ट है, जिसके इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।
प्लास्टिक वेस्ट और फ़्लाइंग-ऐश का भी होगा प्रयोग
देश में प्लास्टिक वेस्ट से बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए एनएचएआई ने प्लास्टिक वेस्ट से भी सड़कें बनाने का फ़ैसला लिया है। इसके अलावा कोयला के फ़्लाइंग-ऐश (कोयले की राख) को राजमार्गों और फ़्लाईओवर को तैयार करने के लिए प्रयोग करेगी।
केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान ने किया सड़कों का निरीक्षण
एनएचएआई द्वारा फ़ॉस्फर-जिप्सम, प्लास्टिक वेस्ट और फ़्लाइंग-ऐश से तैयार की गई सड़कों को केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान द्वारा जांचने के बाद ही इस पर मुहर लगाई गई है। इससे वेस्ट मटिरियल से राजमार्गों को तैयार करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। बता दें, कि रिपोर्ट के अनुसार वेस्ट मटिरियल से बनाई गई सड़कें मज़बूत व लम्बे समय तक के लिए टिकाऊ हैं और सड़क निर्माण में बिटुमेन (सड़क को बनाने में इस्तेमाल होने वाला काला पदार्थ, जिसे डामर या कोलतार कहते हैं) के लिए काफ़ी उपयोगी है।
सरकार का लक्ष्य है नेट-जीरों कार्बन उत्सर्जन
सरकार देश में बढ़ते प्रदूषण को कम करने और जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए लगातार महत्वपूर्ण क़दम उठा रही है। बता दें, कि हाल ही में पेश किए गए आम बजट में सरकार ने साल 2070 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत पर्यावरण सुरक्षा व सुधार के लिए ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम को शामिल किया है।