- यूज़्ड-कार में मिड-लेवल वेरीएंट ग्राहकों की है पहली पसंद
- 72 प्रतिशत मौजूदा कार मालिकों ने बताया कि ख़ुद की कार होने की इच्छा ख़रीदी का मुख़्य कारण है
जर्मन कार निर्माता, फ़ोक्सवेगन भारत ने फ्रॉस्ट एंड सुलिवन के साथ मिलकर भारत में यूज़्ड-कार सेग्मेंट, ग्राहकों के ख़रीदी का तरीक़ा व बाज़ार को और बड़ा करने के तरीक़ों को समझने के उद्देश्य से 'इंडियन प्री-ओन्ड कार मार्केट स्टडी' का आयोजन किया है। फ्रॉस्ट एंड सुलिवन ने पेस्टल एनालिसिस के तरीक़े का इस्तेमाल कर यूज़्ड-कार को ख़रीदने के फ़ैसले पर राजनीतिक, आर्थिक,सामाजिक, टेक्नोलॉजिकल, पर्यावरण और कानूनी तत्वों के प्रभाव की जांच की है। इस जांच से पता चला है, कि वित्तीय वर्ष 2025 तक संगठित प्लेटफ़ॉर्म प्री-ओन्ड (सेकंड हैंड) कार बाज़ार में कुल 45 प्रतिशत का योगदान दे सकते हैं। दिलचस्प बात यह है, कि प्री-ओन्ड कार्स की लगातार बढ़ती बिक्री को देखते हुए, वित्तीय वर्ष 2025 तक भारत में नई कार्स की तुलना में यूज़्ड कार्स की बिक्री 2.1 गुना तक बढ़ सकती है।
कोरोना महामारी ने देश में कार ख़रीदार की पसंद को बदल दिया है। हालांकि पिछले एक साल से कार की बिक्री में रुकावट आई है, इसके बावजूद 72 प्रतिशत मौजूदा कार मालिकों ने बताया कि ख़ुद की कार होने की इच्छा ख़रीदी का मुख्य कारण है। इस जांच में ख़ुलासा हुआ, कि टीयर-1 और टीयर-2 के ग्राहक वित्तीय विकल्पों के साथ सुविधाजनक और किफ़ायती कार्स को चुन रहे हैं। यूज़्ड कार्स की बढ़ती मांग को देखते हुए, उम्मीद है, कि यह सेक्टर वित्तीय वर्ष 2021 में 3.8 मिलियन यूनिट्स से बढ़ कर वित्तीय वर्ष 2025 में 8.2 मिलियन यूनिट्स तक पहुंचेगा।
इस रिपोर्ट में मिली मुख़्य जानकारियां नीचे दी गई हैं –
वीइकल की आयु और वॉरंटी
चूंकि नए मॉडल्स में पुराने मॉडल्स के मुक़ाबले अच्छे फ़ीचर्स, सेफ़्टी, नई टेक्नोलॉजी और मज़बूत इंजन मिलते हैं इसलिए यूज़्ड कार को इस्तेमाल करने की औसत आयु 3.5 वर्ष है। इस जांच के अनुसार, 66 प्रतिशत संभावित ग्राहक कम से कम 1 साल की वॉरंटी को पसंद करते है। संगठित सेक्टर ग्राहकों को ज़रूरी क्वॉलिटी जांच और सुनिश्चित वॉरंटी देता है। यूज़्ड कार को ख़रीदने के लिए लोकल डीलर्स 40 प्रतिशत योगदान के साथ मुख़्य भूमिका निभाते हैं, तो वहीं व्यक्तिगत डायरेक्ट विक्रेताओं का योगदान 22 प्रतिशत है।
फ़ाइनेंस
कार की क़ीमत संभावित ग्राहकों में एक बड़ी भूमिका निभाती है। क़रीब 66 प्रतिशत टीयर-1 के ग्राहक और 39 प्रतिशत टीयर-2 के ग्राहक मानते हैं, कि संभावित यूज़्ड कार ग्राहकों में क़ीमत मुख्य रूप से कार को ख़रीदने के फ़ैसले में एक अहम भूमिका निभाती है। इस जांच में पता चला, कि 50 प्रतिशत ग्राहक कैश पेमेंट पसंद करते हैं, तो वहीं 21 प्रतिशत ग्राहक ऑनलाइन पेमेंट में दिलचस्पी रखते हैं। इसके अलावा, 17 प्रतिशत कैच-अप मोड में वित्तीय विकल्पों को पसंद करते हैं। नई कार्स पर भारी टैक्स और रजिस्ट्रेशन लागत भी यूज़्ड कार्स की बढ़ती मांग का एक कारण है। जांच के अनुसार, यूज़्ड की वित्तीय पूंजी मौजूदा 21 प्रतिशत से बढ़कर साल 2025 तक 35 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है।
युवा ख़रीदार
जांच में ख़ुलासा हुआ है, कि 70 प्रतिशत सेकंड हैंड कार ख़रीदने वालों की ज़्यादातर उम्र 30 से 39 वर्ष के बीच है। इसमें से अधिकतर ग्राहक बेस और टॉप-स्पेक वेरीएंट की तुलना में मिड-स्पेक वेरीएंट को ख़रीदना पसंद करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि, 30 प्रतिशत ग्राहकों ने यूज़्ड कार ख़रीदते समय ऐक्सेसरीज़ भी ख़रीदी हैं। संगठित यूज़्ड-कार डीलर्स खुद को असंगठित डीलर्स से बेहतर बनाने की कोशिश में ज़्यादा आकर्षक ऑफ़र्स दे रहे हैं, जिससे टीयर-2, टीयर-3 और ग्रामीण बाज़ार में यूज़्ड कार्स की मज़बूत मांग पैदा हो रही है।
आकांक्षी मूल्य
जैसा कि पहले बताया गया, कि ख़ुद की कार होने की इच्छा ख़रीदी का मुख़्य कारण है, चाहे वह टू-वीलर से फ़ोर-वीलर, पुरानी कार से नई कार या पहली कार की ख़रीदी हो। रिपोर्ट के अनुसार, 63 प्रतिशत सार्वजनिक ट्रांस्पोर्ट को किफ़ायती मानने के बावजूद कार को ख़रीदने में इच्छुक हैं। क़रीब 66 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मनना है, कि कार मालिक होना प्रतिष्ठा की बात है, तो वहीं 49 प्रतिशत ग्राहक कार को व्यक्तिगत उपयोग के लिए रखते हैं और 46 प्रतिशत ग्राहक कार को सुविधा के लिए रखना पसंद करते हैं।
फ़ोक्सवेगन भारत के ब्रैंड डायरेक्टर, आशीष गुप्ता ने कहा, 'इस जांच से पता चला है, कि वित्तीय वर्ष 2025 संगठित सेक्टर का मार्केट शेयर आकड़ा मौजूदा 25 प्रतिशत से 45 प्रतिशत तक पहुंचेगा। इससे पता चलता है, कि यूज़्ड कार की मांग आने वाले समय में बढ़ेगी। हम अपने दास वेल्ट ऑटो (डीडब्ल्यूए) के ज़रिए इस मांग को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही, उम्मीद है कि टीयर-2 बाज़ार में यूज़्ड कार्स की बिक्री सबसे अधिक होगी।'
अनुवाद: विनय वाधवानी