- स्पोर्टी लुक वाली रेसर की बिक्री हो चुकी है शुरू
- केवल मैनुअल विकल्प में की गई है पेश
टाटा मोटर्स ने हाल ही में अल्ट्रोज़ रेसर को लॉन्च किया है। कंपनी ने इस कार को दमदार इंजन के अलावा कई नए फ़ीचर्स और कॉस्मेटिक अपडेट्स के साथ बाज़ार में उतारा है। इसमें आपको 1.2-लीटर का तीन-सिलेंडर वाला टर्बोचॉर्ज़्ड पेट्रोल इंजन मिलेगा, जिसे हम पहले टाटा की नेक्सन में भी देख चुके हैं।
हालांकि बाद वाले यानी नेक्सन में सात-स्पीड ड्युअल-क्लच ऑटोमैटिक (डीसीए) ट्रैंस्मिशन भी दिया गया है। बता दें कि अल्ट्रोज़ रेसर में अभी सिर्फ़ छह-स्पीड मैनुअल ही मिल रहा है। लेकिन, आज हम आपको बताएंगे कि आख़िर क्यों इस हैचबैक के रेसर वर्ज़न में भी ऑटोमैटिक गियरबॉक्स का विकल्प होना चाहिए?
क्यों ज़रूरी है ऑटोमैटिक का विकल्प?
अगर इस कार में ड्युअल-क्लच-ऑटोमैटिक (डीसीए) का विकल्प मिलता है, तो क्लच-लेस शिफ़्ट की सुविधा मिलने लगेगी, जिससे ड्राइवर का बायां पैर फ्री हो जाएगा, गियर शिफ़्ट करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, तो ऐसे में ड्राइवर दोनों हाथों से स्टीयरिंग पकड़कर बिना ध्यान भटकाए कार ड्राइव कर सकेगा।
हालांकि, रेसर में पैडल पर तेज़ ऐक्शन के साथ नया क्लच मौजूद है, लेकिन गियर शिफ़्ट करते समय एक हल्का-सा जर्क यानी उतार-चढ़ाव महसूस होता है। ऐसे में अगर इसको ऑटोमैटिक ट्रैंस्मिशन विकल्प के साथ उतारा जाए, तो ड्राइविंग एक्सपीरिंयस और बेहतर हो सकता है।
टाटा के लिए क्यों मुश्किल नहीं है?
क्योंकि टाटा की नेक्सन पहले से ही सात-स्पीड ऑटोमैटिक गियर बॉक्स के साथ आ रही है। इसलिए कंपनी के लिए रेसर में इस तकनीक का इस्तेमाल करना ज़्यादा मुश्किल नहीं होगा। जैसा कि आपको हम पहले ही बता चुके हैं, कि अल्ट्रोज़ रेसर में नेक्सन का इंजन दिया गया है। ऐसे में कंपनी को भविष्य में डीसीए विकल्प शामिल करना कोई बड़ी चुनौती नहीं होगी।
अल्ट्रोज़ रेसर ऐंट्री-लेवल कार नहीं बल्कि प्रीमियम हैचबैक कार है। इसलिए, जो ग्राहक 10 लाख रुपए से ज़्यादा ख़र्च करेंगे, उन्हें कंफ़र्ट के अलावा गियरशिफ़्टिंग जैसी चीज़ों में सुविधाजनक एहसास भी चाहिए होगा। इसलिए कंपनी को उन ख़रीदारों की डिमांड का भी ध्यान रखना जरूरी हो जाता है।
प्रतिद्वंदियों को भी दे पाएगी पूरी तरह से टक्कर
जब हम टाटा की इस कार के प्रतिद्वंदी की बात करते हैं, तो हुंडई i20 एन लाइन का नाम सबसे पहले सामने आता है। हुंडई की यह कार ऑटोमैटिक और मैनुअल दोनों तरह के गियरबॉक्स वाले विकल्पों के साथ मौजूद है। क़ीमत के नज़रिए से देखा जाए, तो अल्ट्रोज़ रेसर की क़ीमत हुंडई की तुलना में कम है।
ऐसे में अगर इस कार में ऑटोमैटिक गिरयबॉक्स का विकल्प मिल जाता है, तो यह कार इस सेग्मेंट के ग्राहकों को ज़्यादा से ज़्यादा अपनी ओर लुभाने में कामयाब होगी और इसके बाद टाटा कंप्टीशन की एक नई लाइन खींचने में कामयाब हो सकता है।
अनुवाद: शोभित शुक्ला