पिछले एक दशक से वैश्विक स्तर के ऑटोमेकर्स फ़्यूल के वैकल्पिक सोर्स के ऊपर काम कर रहे हैं। इसी सिलसिले में ऑटो निर्माताओं के सामने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने आया है। भारत सरकार भी इसके पक्ष में है और देश के निर्माताओं को इस प्रदूषण रहित मोबिलिटी के प्रति प्रोत्साहित करने का काम लगातार कर रही है। आइए विस्तार से जानें, कि केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वीइकल्स के विकास के लिए कौन से महत्वपूर्ण क़दम उठाए हैं:
अल्टरनेटिव फ़्यूल फ़ॉर सरफ़ेस ट्रांसपोर्टेशन प्रोग्राम (साल 2010 से 2012)
वर्ष 2021 में इस स्कीम के अंतर्गत नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 20 प्रतिशत सब्सिडी को लागू किया गया था, जिसके अंतर्गत दो पहियों के लिए 5,000 रुपए, सात-सीटर तीन पहियों के लिए 60,000 रुपए, चार-सीटर पैसेंजर कार्स के लिए 1 लाख रुपए और बसों के लिए क़रीब 4 लाख रुपए के रेंज में उपलब्ध था। इस प्रोग्राम के लिए 95 करोड़ का कुल ख़र्च आया था। इसके लागू होने के बाद इलेक्ट्रिक वीइकल्स की बिक्री में वृद्धि देखने को मिली। विशेष तौर पर इलेक्ट्रिक बाइक्स के सेग्मेंट के सेल्स में उछाल देखने को मिला। इस स्कीम में कम स्कोप और प्रमुख वाहनों को कवर ना करने जैसी ख़ामियों को देखते हुए कुछ समय के बाद गाड़ियों की बिक्री में कमी आने लगी।
नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान 2020 (एनईएमएमपी)
साल 2013 में बड़े उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय द्वारा नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान 2020 (एनईएमएमपी) को 14,000 करोड़ रुपए के ख़र्च पर भारत में इलेक्ट्रिक वीइकल्स के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने और बढ़ावा देने के लिए इसकी शुरूआत की गई थी। इस मिशन के अंतर्गत साल 2020 तक भारत में इलेक्ट्रिक व हाइब्रिड वीइकल्स के सेल्स को 6 से 7 लाख रुपए तक पहुंचने की सम्भावना जताई गई। इससे भारत वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक मैन्युफ़ैक्चरिंग का मुख्य केंद्र बना हुआ है। इसी मिशन के तहत ही फ़ास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफ़ैक्चरिंग ऑफ़ इलेक्ट्रिक वीइकल्स (फ़ेम) स्कीम की शुरुआत की गई थी।
फ़ेम-I स्कीम
1 अप्रैल 2015 बड़े उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय द्वारा फ़ास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफ़ैक्चरिंग ऑफ़ इलेक्ट्रिक वीइकल्स (फ़ेम) को 795 करोड़ रुपए के ख़र्च पर लॉन्च किया गया था। इस प्रोग्राम का मक़सद टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के साथ हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वीइकल्स को बढ़ावा देना था। इस स्कीम का मुख्य बिंदू आगामी सब्सिडी, पायलट प्रोजेक्ट्स के लिए रिसर्च व डवलपमेंट और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करना था। इसके अतिरिक्त दो पहियों, तीन पहियों, सवारी गाड़ियों, हल्के कमर्शियल वीकल्स और बसों पर सब्सिडी को लागू करना था।
फ़ेम-II स्कीम
1 अप्रैल 2019 को बड़े उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय द्वारा फ़ेम के दूसरे चरण को 10,000 करोड़ के बजट पर लॉन्च किया गया था। इसमें सब्सिडी को इलेक्ट्रिक कमर्शियल वीइकल्स, पब्लिक ट्रांसपोर्ट वीइकल्स और दो पहियों पर लागू किया गया था। यह फ़ेम-II स्कीम साल 2019 से 2022 तक तीन साल के लिए है। इस स्कीम में सिर्फ़ लिथियम-आयन बैटरी या एड्वांस्ड पावर सोर्स वाले वाहन ही सरकार द्वारा दिए जा रहे लाभ के अंतर्गत शामिल होंगे। इलेक्ट्रिक वीइकल्स चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर योजना के तहत टीयर-1 शहरों में क़रीब 2,700 चार्जिंग स्टेशन्स को स्थापित करने की परियोजना तैयार की गई थी। इस योजना में इस बात का ध्यान रखा गया, कि स्टेशन 3 किमी x 3 किमी के ग्रिड पर उपलब्ध हो।
इन चार्जिंग स्टेशन को मुख्य हाइवेज़ पर स्थापित किया गया था, जिससे प्रमुख शहरों को जोड़ा जा सके। इन हाइवेज़ पर चार्जिंग स्टेशन्स को सड़क के दोनों तरफ़ 25 किमी की दूरी पर स्थापित करने की योजना तैयार की गई थी। इस स्कीम में जिन बसों की क़ीमत 2 करोड़ रुपए के अंदर हैं, वो 15 लाख रुपए तक प्लग-इन हाइब्रिड्स के लिए, 5 लाख रुपए के अंदर के तीन पहिए और 1.5-लाख रुपए के अंदर दो पहिए इंसेंटिव पाने के अधिकारी होंगे। मिली जानकारी के अनुसार, टेस्टिंग एजेन्सीज़ द्वारा दिए गए फ़ेम-II सर्टिफ़िकेट और इलेक्ट्रिक वीइकल्स के अप्रूव्ड मॉडल्स मार्च 2021 तक वैध रहेंगे। इस स्कीम के तहत अप्रूव्ड मॉडल्स के वेलिडेशन (मान्यता) सर्टिफ़िकेट को दोबारा जमा करना होगा, ताक़ि फ़ेम-II के स्कीम के इंसेंटिव का लाभ लिया जा सके। पिछले महीने नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने देश में कोरोना महामारी के चलते बचे हुए स्टॉक के लिए ओईएम्स की मदद करने के लिए फ़ेम-II सर्टिफ़िकेशन की वैधता को बढ़ाया है।
देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के रोडमैप के अलावा केंद्र सरकार स्मार्ट सिटी मिशन (साल 2015 में हुई लॉन्च), नेशनल मिशन ऑन ट्रांसफ़ॉर्मेटिव मोबिलिटी व बैटरी स्टोरेज (साल 2019 में अप्रूव्ड) और प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (वर्ष 2020 में लॉन्च) जैसे महत्वपूर्ण पहल पर लगातार काम कर रही है।
अनुवाद: धीरज गिरी