- फ़्यूल की मांग में वित्तीय वर्ष 2019-20 में 17.8 प्रतिशत की कमी दर्ज़ की गई
- वित्तीय वर्ष 2019-20 में 0.2 प्रतिशत रहा बिक्री विकास दर
कोरोना वायरस के चलते मार्च 2020 में देशभर में पूर्ण रूप से हुए लॉकडाउन के कारण फ़्यूल की मांग में 17.8 प्रतिशत की गिरावट आई है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के आख़िर में तेल की मांग में हल्की कमी आने की वजह से केवल 0.2 प्रतिशत का ही विकास दर रहा, जो कि पिछले दो दशकों में सबसे कम है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश को संबोधित करते हुए लॉकडाउन की समय सीमा को बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया है। अब इसका असर वित्तीय वर्ष 2020-21 पर भी दिख सकता है। मार्च में फ़्यूल की बिक्री में आई कमी से एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ गई है। कुछ विश्लेषकों का कहना है, कि वर्ष 2020-21 में 1.5 से 2 प्रतिशत तक का विकास देखा जा सकता है, जो दशक का सबसे कम विकास दर है।
अर्थशास्त्रियों के रॉयटर्स पोल के आंकड़ों से यह पता चलता है कि साल के पहले चार महीनो में पिछले आठ सालों के मुक़ाबले विकास की रफ़्तार काफ़ी धीमी रही है और अगले चार महीने भी यह धीमी ही रहने वाली है। पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के आंकड़ो से पता चला है कि मार्च में तेल की मांग 16.08 मिलियन टन ही रही।
बात करें डीज़ल की ख़पत की तो मार्च के महीने में 24.2 प्रतिशत की कमी आई है, जो कि अप्रैल 1998 के बाद से सबसे कम है। पीपीएसी द्वारा अप्रैल 1998 से पहले के मासिक विकास आंकड़े मुहैया नहीं कराए गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार ऑटोमोबाइल में इस्तेमाल होने वाले गैस और पेट्रोल में 16.4 प्रतिशत की कमी आई है, जो कि साल 1999 के बाद से सबसे कम है।