- हर दिन 250 से 300 गाड़ियां बनती हैं एमजी के हलोल प्लांट में
- रंगों की अच्छी समझ के चलते पेंट जॉब यूनिट में महिलाओं का बोलबाला
मॉरिस ऐंड गैराजेस के गुजरात के हलोल प्लांट में एक दिन में तक़रीबन 250 से 300 एमजी कार्स प्रोड्यूस की जाती हैं। बता दें, कि एमजी की सबसे ज़्यादा बिकने वाली हेक्टर का भी प्रोडक्शन यहीं किया जाता है। जिसे बनाने में प्रोडक्शन लाइन में 950 से 1,000 महिलाएं काम करती हैं।
यशविंदर पटियाल, सीनियर डिरेक्टर, ह्यूमन रिसोर्स, एमजी मोटर इंडिया के अनुसार, 'महिलाएं हर काम को बेहद बारीक़ी से करती हैं। मेरा निजी तौर पर मानना है, कि उनका काम अव्वल दर्जे का होता है। उनकी रंगों की समझ उम्दा होती है, इसलिए आप देखेंगे हमारे पेंट जॉब यूनिट में ज़्यादातर महिलाएं ही काम करती हैं।'
बता दें, कि एमजी के इस यूनिट में तीन शिफ़्ट्स में काम किया जा सकता है, लेकिन मौजूदा समय में ब्रैंड अपनी ज़रूरतों को देखते हुए यहां केवल दो शिफ़्ट्स में काम कर रही है।
आईसीई और ईवी का प्रोडक्शन होता है साथ में
एमजी के इस प्लांट में एमजी हेक्टर, ग्लॉस्टर, एस्टर के साथ ही अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार ZS और हालिया लॉन्च कॉमेट ईवी का प्रोडक्शन एक ही लाइन अप में किया जाता है। यानी इलेक्ट्रिक वीइकल के प्रोडक्शन के लिए कंपनी को कोई अलग यूनिट तैयार नहीं करना पड़ता है।
ग़ौरतलब है, कि न केवल एमजी के प्रोडक्शन लाइन में, बल्कि लीडरशिप में भी 24 प्रतिशत महिलाओं की हिस्सेदारी है। यशविंदर के अनुसार, कंपनी में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के पीछे कंपनी की अच्छी सुरक्षा व्यवस्था और सुलभ माहौल है। मौजूदा वक़्त में एमजी की देश में आईसीई मॉडल्स में हेक्टर, हेक्टर प्लस, ग्लॉस्टर और एमजी एस्टर शामिल हैं। वहीं इलेक्ट्रिक मॉडल्स की बात की जाए, तो ब्रैंड देश में ZS ईवी, एमजी कॉमेट को बेच रही है।