- बनेगी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी
- होंडा करेगी अगुवाई
जापान की दो बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनीज़ होंडा और निसान, मित्सुबिशी मोटर्स के साथ मिलकर एक नए बड़े मर्जर की दिशा में काम कर रही हैं। इस विलय से यह पार्टनरशिप दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी बन सकती है। इस पार्टनरशिप का मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) को बनाना है, जिससे बाज़ार में टेस्ला, टोयोटा और बीवायडी जैसी दिग्गज कंपनीज़ को कड़ी टक्कर मिल सके। हालांकि, निसान ने पहले भी रेनो के साथ पार्टनरशिप किया हुआ है।
क्या है योजना?
होंडा और निसान, मित्सुबिशी मोटर्स के साथ मिलकर 2025 तक बातचीत पूरी करेंगे और 2026 में एक होल्डिंग कंपनी बनाएंगे। यह होल्डिंग कंपनी तीनों ब्रैंड्स के मैनेजमेंट से कोआर्डिनेट करेगी, लेकिन सभी ब्रैंड्स अपनी पहचान और स्वतंत्रता बनाए रखेंगे। हालांकि, इस विलय को होंडा लीड करेगी और इन तीनो के मर्जर के बाद बनने वाली कंपनी का नाम अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन इनके अंतर्गत आइस, एचईवी, पीएचईवी और ईवी मॉडल्स बनेंगी। साथ ही इनका टारगेट 30 ट्रिलियन येन (क़रीब 19.1 लाख करोड़ रुपए) की वार्षिक बिक्री और 3 ट्रिलियन येन (करीब 1.91 लाख करोड़ रुपए) का मुनाफ़ा करना होगा। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रोडक्शन में तेजी आएगी और लागत में भी कमी आएगी।
फ़ायदे और चुनौतियां
इस पार्टनरशिप से प्रोडक्शन और टेक्नोलॉजी इनोवेशन को साझा करके लागत में कमी आएगी और ईवीज़ को बाज़ार में पेश करने में भी तेजी लाएगी। इससे कंपनीज़ को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कम्पटीशन बनाए रखने में बढ़त मिलेगी। हालांकि, यह योजना चुनौतियों से कम नहीं होगी।
निसान के पूर्व सीईओ कार्लोस घोस्न ने इस विलय पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि होंडा और निसान के बीच तालमेल की कमी इस पार्टनरशिप को सफल होने से रोक सकती है। साथ ही उन्होंने इसे 'घबराहट' का संकेत बताया है।
ईवी बाज़ार में बड़ा बदलाव
अगर यह विलय सफल होता है, तो यह जापान की ऑटो इंडस्ट्री के लिए एक नया चैप्टर लिखेगा। यह साझेदारी तीनों कंपनीज़ को इलेक्ट्रिक वाहन बाज़ार में नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है। इसके साथ ही, यह ग्राहकों के लिए और बेहतर और किफ़ायती ईवी विकल्प लाने की दिशा में बड़ा कदम होगा।