अब तक भारतीय कार निर्माताओं को सेफ़्टी रेटिंग के लिए यूरोपियन ग्लोबल एनकैप के भरोसे रहना पड़ता था। अब भारत में बिकने वाली कार्स का क्रैश टेस्ट भारत एनकैप के द्वारा किया जाएगा। हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, नितिन गडकरी ने ग्लोबल एनकैप की तर्ज़ पर भारत एनकैप यानी भारत न्यू कार एसेसमेंट प्रोग्राम को लॉन्च किया है। इसकी शुरुआत इस साल अक्टूबर महीने से पूरे देश में की जाएगी। इस लेख में हम आपको भारत एनकैप के बारें में बताने जा रहे हैं।
अमेरिका, चीन, जापान और साउथ कोरिया के बाद अब भारत कार क्रैश टेस्ट करने वाला पांचवा देश बन गया है। जिसके चलते अब ग्राहक देश में मौजूद गाड़ियों के विकल्प में से अपने लिए एक बेहतर ऑप्शन चुन सकेगें।
सेफ़्टी रेटिंग्स में क्या है अंतर?
ग्लोबल एनकैप में अडल्ट के लिए गाड़ी को 5 स्टार सेफ़्टी रेटिंग चाहिए जिसके लिए कम से कम 34 पॉइंट हासिल करने होंगे, जिसमें 16 पॉइंट फ्रंट क्रैश टेस्ट, 16 पॉइंट साइड इम्पैक्ट और 2 पॉइंट सीटबेल्ट रिमाइंडर के लिए होगा।
वहीं भारत एनकैप में 5 स्टार रेटिंग के लिए अडल्ट सवारी की सेफ़्टी में कम से कम 27 पॉइंट चाहिए और चाइल्ड सेफ़्टी के लिए 41 पॉइंट हासिल करने होंगे।
क्रैश टेस्ट
भारत एनकैप के तहत क्रैश टेस्ट के प्रोटोकॉल नियम ग्लोबल एनकैप की तरह हैं। कार को क्रैश टेस्ट करने के दौरान तीन तरह की जांच की जाएगी। इसमें फ्रंटल ऑफसेट बैरियर टेस्ट को 64 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर कराया जाएगा। इसके तहत ड्राइवर और पैसेंजर के सिर, गर्दन, छाती, जांघ और घुटने की सेफ़्टी को देखा जाएगा। साइड इम्पैक्ट टेस्ट के लिए कार 50 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से एक बैरियर कार से टकराएगा, जिससे पैसेंजर को आई चोट का आंकलन किया जाएगा। पोल साइड इम्पैक्ट टेस्ट के लिए कार 26 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर होगा और इस टेस्ट को पास करने के लिए कार में 6 एयरबैग्स होना ज़रूरी होगा।
ग्लोबल एनकैप से ज़्यादा किफ़ायती होगा भारत एनकैप
इसका एक बड़ा लाभ आर्थिक रूप से भी देखने को मिलेगा। जिसको लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि, 'भारत में किए जाने वाले कार क्रैश टेस्ट की लागत ग्लोबल एनकैप की तुलना में एक चौथाई होगा। ग्लोबल एनकैप के क्रैश टेस्ट में 2.5 करोड़ रुपए लगता है, जबकि भारत एनकैप के तहत इसमें महज़ 60 लाख रुपए का ख़र्च आएगा।”
भारतीय कार की बिक्री और एक्सपोर्ट में हो सकता है इजाफ़ा
भारत एनकैप के आ जाने से मेड इन इंडिया गाड़ियों की बिक्री और एक्सपोर्ट में भी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। साथ ही भारतीय कार ख़रीदारों को सेफ़्टी कार चुनने में आसानी होगी। भारत एनकैप द्वारा किए गए क्रैश टेस्ट के बाद गाड़ियों में पीछे नया लोगो और स्टीकर लगाया जाएगा, जिसपर कार का मॉडल और टेस्टेड साल लिखा होगा।
भारत एनकैप की हालिया अन्य खबरें
हालांकि, भारत एनकैप के सभी टेस्ट काफ़ी हद तक ग्लोबल एनकैप की गाइडलाइंस पर ही आधारित हैं। बता दें, कि इन टेस्ट के लिए सरकार ने भारतीय ड्राइविंग कंडीशन और सड़कों को भी ध्यान में रखा है। इससे देश में होने वाली सड़क दुर्घटना में कमी भी आएगी। अन्य ख़बरों की बात करें, तो अब तक भारत एनकैप क्रैश टेस्ट के लिए 30 से ज़्यादा गाड़ियों की अर्जी आ चुकी है।