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क्यों ख़रीदें ऑल्टो K10 को?
- पहली कार के लिए काफ़ी बेहतर
- चलाने में आसान
- अच्छा परफ़ॉर्मेंस
इससे क्यों बचना चाहिए?
- दिखने में साधारण
- एनवीएच लेवल्स हो सकते थे बेहतर
- टॉप-एंड वेरीएंट्स में कुछ फ़ीचर्स उपलब्ध नहीं
क्या है इसमें ख़ास?
दो साल के इंतेज़ार के बाद, ऑल्टो K10 ने आख़िरकार एंट्री-लेवल हैचबैक सेग्मेंट में क़दम रखा है। यह ऑल्टो 800 व एस-प्रेसो के साथ बेची जाएगी और नई सिलेरियो के नीचे का मॉडल होगा। नए K10C पेट्रोल इंजन के साथ-साथ ऑल्टो में अब ब्रैंड का नया हार्टेक्ट प्लेटफ़ॉर्म, अपडेटेड इक्सटीरियर स्टाइलिंग, नए डिज़ाइन वाला केबिन और आकर्षक रंग विकल्प मौजूद हैं।
नए हार्टेक्ट प्लेटफ़ॉर्म के आने के बाद अब ऑल्टो की लंबाई 3,530mm और चौड़ाई 1,490mm है। वहीं इसका वीलबेस पिछले मॉडल के मुक़ाबले 20mm बढ़कर 2,380mm हो गया है, जिससे पीछे बैठने वाले यात्रियों को ज़्यादा स्पेस मिलता है।
ऑल्टो K10 देखने में काफ़ी हद तक पुराने मॉडल जैसी दिखती है। पुरानी K10 की तुलना में नई K10 गोलाकार में नज़र आती है और पुराने मॉडल से काफ़ी मिलती-जुलती है। ग्रैंड विटारा की तरह ही इसका ग्रिल ज़्यादा नीचे किया गया है और बम्पर पर मधु के छत्ते के आकर (हनीकोम्ब) का बड़ा सिंगल-पीस ग्रिल दिया गया है। इसमें फ़ॉग लैम्प्स को शामिल नहीं किया गया है, वहीं इसके हेडलैम्प्स, वील कवर्स, टेल लैम्प्स और स्पीकर्स के चारों ओर मधु के छत्ते के आकर का पैटर्न मौजूद है। ऑल्टो K10 में पहले की तरह ही 13-इंच स्टील वील्स और लिफ़्ट-टाइप डोर हैंडल्स को जोड़ा गया है।
कैसा है इसका इंटीरियर और फ़ीचर्स?
इक्सटीरियर की तरह ही ऑल्टो K10 के केबिन में भी कुछ बदलाव किए गए हैं। इसके डैशबोर्ड पर नया डिज़ाइन दिया गया है और केबिन में हार्ड प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा इंफ़ोटेन्मेंट सिस्टम, एयरकॉन वेन्ट्स और नए स्टीयरिंग वील को मॉडर्न लुक देने के लिए एल्युमिनियम एक्सेंट्स को शामिल किया गया है।
इसमें डैशबोर्ड पर विंडो स्विचेस, केबिन में जगह-जगह पर स्टोरेज, बीच में दो कपहोल्डर्स के साथ ग्लवबॉक्स, आगे के यात्रियों के लिए छोटा-मोटा सामान रखने के लिए छोटी-छोटी जगहें, आगे के डोर्स पर एक लीटर बॉटल रखने की जगह, वहीं पीछे के यात्रियों को हैंडब्रेक के पीछे छोटा पॉकेट दिया गया है। आगे की सीट्स की बात करें, तो ऑल-ब्लैक केबिन पर चेकर्ड पैटर्न के साथ ब्लैक और बेज फ़ैब्रिक अपहोल्स्ट्री, आरामदायक शोल्डर और हेडरूम जैसे फ़ीचर्स हैं। बता दें, कि इसमें हेडरेस्ट, स्टीयरिंग व सीट्स एड्जस्टेबल नहीं रखे गए हैं। इससे छोटी हाइट वाले ड्राइवर को चलाने में आसानी होती है, तो वहीं लंबे ड्राइवर्स को यह सीट काफ़ी नीचे महसूस हो सकती है। बता दें, कि यह दिखने में अच्छी और चलाने में आसान है।
पीछे की सीट आरामदायक है, लेकिन दो से ज़्यादा लोगों को बैठने में मुश्क़िल का सामना करना पड़ता है। इसमें ज़्यादा लम्बा वीलबेस और झुका हुआ बैकरेस्ट है, जो ज़्यादा लेगरूम देता है। इसका हेडरेस्ट छोटा है और काफ़ी कम हेड सपोर्ट देता है। इसमें मैनुअल विंडोज़ हैं और चीज़े रखने के लिए सिर्फ़ डोर पैड्स पर छोटी-सी जगह दी गई है। पीछे की तरफ़ 214 लीटर का बूट स्पेस है, जिसमें दो छोटे सूटकेसिस और कुछ छोटे बैग्स को रखा जा सकता है। पीछे के पार्सल पर भी कुछ सामान को रखा जा सकता है।
ऑल्टो K10 स्टैंडर्ड, LXi, VXi और VXi प्लस के चार ट्रिम्स में उपलब्ध है। इसके टॉप-स्पेक VXi प्लस ट्रिम में ऐप्पल कारप्ले और ऐंड्रॉइड ऑटो के साथ सात-इंच का टचस्क्रीन इंफ़ोटेन्मेंट सिस्टम, कई ऑडियो मोड्स के साथ चार स्पीकर्स, वॉइस कमांड्स के साथ स्टीयरिंग वील, दो ट्रिप मीटर्स, फ़्यूल गेज़, फ़्यूल और गियर पोज़िशन (एएमटी वेरीएंट्स के लिए) की जानकारी देने वाला एम्बर रंग का डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर जैसे फ़ीचर्स हैं। इसका टैकोमीटर और लॉक/अनलॉक बटन बेहतर हो सकता था।
सेफ़्टी की बात करें, तो K10 में आगे दो एयरबैग्स, एबीएस, आगे सीटबेल्ट रिमाइंडर (चालक और सहचालक) पीछे पार्किंग सेंसर्स जैसे फ़ीचर्स हैं। वहीं ऊपर के मॉडल्स में सेंट्रल लॉकिंग और स्पीड सेंसिंग डोर लॉक्स दिए गए हैं। ऑल्टो K10 अभी तक ग्लोबल एनकैप द्वारा टेस्ट नहीं की गई है।
चलाने में कैसी है?
ऑल्टो K10 में एस-प्रेसो और सिलेरियो की तरह ही 1.0-लीटर, तीन-सिलेंडर पेट्रोल इंजन है। इसके पावर में कोई बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन ड्युअल जेट ड्युअल वीवीटी टेक्नोलॉजी की मदद से ऑल्टो K10 में बेहतर फ़्यूल इफ़िशंसी मिलती है। बता दें, कि ऑल्टो K10 के किसी भी वेरीएंट में आइडल स्टार्ट/स्टॉप टेक्नोलॉजी नहीं दी गई है। एआरएआई फ़ीगर्स के अनुसार, यह कार मैनुअल वर्ज़न में 24.39 किमी प्रति लीटर और एएमटी वर्ज़न में 24.90 किमी प्रति लीटर की फ़्यूल इफ़िशंसी देती है।
इसमें पांच-स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स को जोड़ा गया है, जिसका क्लच अच्छा है और गियर बदलने में आसानी होती है, जिससे ट्रैफ़िक में परेशानी नहीं होती। इसका स्टीयरिंग पुराने मॉडल की तरह ही भारी महसूस होता है।
सिटी में ड्राइव करने पर यह कार 40 किमी प्रति घंटे के नीचे ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर आरामदायक राइड देती है। लेकिन 80 किमी प्रति घंटे से ऊपर की रफ़्तार पर यह कार झटके देने लगती है, वहीं टायर का आवाज़ बढ़ जाता है। हाईवे पर 100 किमी प्रति घंटे के ऊपर इसकी राइड क्वॉलिटी बेहतर हो सकती थी। इस रफ़्तार पर ख़राब रास्तों में चलाने पर यह काफ़ी ज़्यादा हिलने लगती है।
क्या है इसकी क़ीमत?
मारुति सुज़ुकी ऑल्टो K10 की क़ीमत 3.99 लाख रुपए से 5.84 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) के बीच है। इसकी शुरुआती क़ीमत रेनो काईगर से कम है और टॉप मैनुअल व ऑटोमैटिक वर्ज़न्स में काफ़ी किफ़ायती विकल्प है। वहीं दूसरी ओर ऑल्टो K10 की टक्कर मारुति सुज़ुकी एस-प्रेसो से है, जो 15,000 से 20,000 रुपए महंगी है।
चूंकि यह अच्छा माइलेज देती है, इसका केबिन सुविधाजनक है और एएमटी गियरबॉक्स इस्तेमाल करने में आसान है, पहली बार कार ख़रीदने वाले ग्राहकों के लिए ऑल्टो K10 एक पसंदीदा विकल्प होगा। हालांकि इसमें कुछ फ़ीचर्स मौजूद नहीं हैं, नई ऑल्टो K10 कम दाम पर काफ़ी आकर्षक फ़ीचर्स देती है और इसका आफ़्टर-सेल्स सर्विस अच्छा है।
तस्वीरें - कपिल आंगणे
अनुवाद: विनय वाधवानी