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एएमटी (ऑटोमेटेड मैनुअल ट्रैंस्मिशन) का आना ख़रीदारों के साथ-साथ निर्माताओं के लिए भी फ़ायदेमंद रहा है। ऑटोमैटिक ट्रैंस्मिशन तकनीक में शिफ़्ट कंट्रोल ऐक्ट्यूटेर्स ऑटोमैटिकली क्लच व शिफ़्ट का काम करने लगते हैं। जिससे के ड्राइवर को क्लच दबाकर गियर्स शिफ़्ट करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है।
मारुति सुज़ुकी इसे ऑटो गियर शिफ़्ट (एजीएस) टेक्नोलॉजी कहता है और कंपनी ने इस तकनीक को अपनी वैगनआर में शामिल किया है। हृयूंडे चाहती थी, कि भारतीय ग्राहकों को ऐंट्री-लेवल ऑटोमैटिक हैचबैक बेहद किफ़ायती दाम में मिल सके, इसलिए कंपनी ने वैगनआर की प्रतिद्वंदी सैंट्रो में एएमटी तकनीक को जोड़ा है।
हमने यहां इन दोनों हैचबैक्स के फ़ीचर्स, माप, फ़्यूल इफ़िशंसी और अन्य कई पहलुओं का विश्लेषण किया। यहां हम आपको सैंट्रो स्पोर्ट्ज़ ऑटोमैटिक और वैगनआर Zxi ऑटोमैटिक के ऑन-रोड परफ़ॉर्मेंस आंकड़ों के बारे में बता रहे हैं।
अ. ऐक्सेलरेशन
0-60 किमी प्रति घंटे
0-100 किमी प्रति घंटे
हृयूंडे ने सैंट्रो में 1.1-लीटर इपसिलॉन एमपीआई पेट्रोल इंजन दिया गया है, जो 68bhp का पावर और 99Nm का टॉर्क जनरेट करता है। वहीं वैगनआर एएमटी में 1.2-लीटर K12M पेट्रोल यूनिट दिया गया है, जो कि 82bhp का पावर व 113Nm का टॉर्क प्रोड्यूस करता है। पावर के आंकड़ों के देखकर ही पता लगता है, कि मारुति, हृयूंडे से थोड़ी तेज़ होगी। और हमारे V-BOX टेस्ट्स में भी वैगनआर एएमटी ने 6.19 सेकेंड्स में 0-60 किमी प्रति घंटे की स्पीड पाई। वहीं सैंट्रो एएमटी ने इतनी ही गति पाने में कुल 7.39 सेकेंड्स लगाए। वहीं अच्छे पावर आंकड़ों के चलते वैगनआर 100 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार केवल 13.94 सेकेंड्स में पा ली। इसके मुक़ाबले सैंट्रो को यही गति पाने के लिए 17.64 सेकेंड्स का वक़्त लगा।
ब. रोल ऑन में लगने वाला समय
20-80 किमी प्रति घंटा किक-डाउन में
40-100 किमी प्रति घंटा किक-डाउन में
शहर में ड्राइविंग को देखते हुए सैंट्रो ने 20-80 किमी प्रति घंटा के रोल-ऑन टेस्ट में 10.20 सेकेंड्स लिया किक-डाउन के लिए। इसका मतलब है, पॉइंट ए से बी तक की दूरी तय करने में मॉडल ने 20-80 किमी प्रति घंटे की स्पीड हासिल की और यह काम उसने केवल 10.20 सेकेंड्स में पूरा किया।
वहीं इसी टेस्ट में वैगनआर ने केवल 8.23 सेकेंड्स से बाजी मार ली। वैगनआर ने 10.03 सेकेंड्स में 40-100 किमी प्रति घंटे वहीं सैंट्रो से किक-डाउन किया, वहीं सैंट्रो ने इसके लिए 12.65 सेकेंड्स का वक़्त लिया।
इन आंकड़ों से साफ़ पता चलता है, कि कैसे अतिरिक्त पावर और टॉर्क की मदद से गाड़ी की परफ़ॉर्मेंस बेहतर होती है। यदि आप इन दोनों गाड़ियों के बारे में और जानना चाहते हैं, तो हमारी साइट पर इन दोनों गाड़ियों के बारे में पढ़ें या फिर कमेंट बॉक्स में बताएं कि आपको इन गाड़ियों के बारे में किस तरह की जानकारी चाहिए।